मेरा एक ही मित्र यीशु
वो मेरा सबकुछ है
लाखों में वो मेरा एक ही प्रिय है
वो शारोन का गुलाब है और भोर का तारा है
लाखों में वो मेरा एक ही प्रिय है
Refrain
उसके दुख से मुझको शांति
और आनंद मिलता है
उसका क्रूस मुझको चंगा करता है
वो शारोन का…
मेरा सारा बोझ उठाया
मुझे चंगा कर दिया
पावों को मेरे स्थिर किया है
जब अकेला था भटकता
और सबने छोड़ दिया
यीशु मेरा प्यारा मित्र बन गया
उसके दुख…
अब मैं जीवन भर उसी की
महिमा करूँगा
हाथ उठाकर उसकी स्तुति करूँगा
यीशु के लिये जीयुँगा
और उसमें मरूँगा
अब वही मेरी एकमात्र आशा है
उसके दुख…
मेरे येशु, मैं करता हूं तुमसे प्यार
तू है मेरा मैं जानता यह बात
और खुशी से चलूंगा नित तेरे साथ
मैं दुनिया की दोस्ती को जानता ना चीज़
तू शाफी है मेरा ऐ हर दिल अज़ीज़.
प्यार तूने किया सो करता मैं भी
गम ज़दा तू हुआ और जान अपनी दी
बचाने को मुझे गुनाह का मरीज़
तू शाफी है मेरा ऐ हर दिल अज़ीज़.
या जीता या मरता मैं करूगा प्यार
कि हूं तेरी मारफ़त नजात का हकदार
जिस हाल तू है शाफी तो मौत है नाचीज़
मैं मरता ललकारूंगा ऐ हर दिल अज़ीज़.
जब पहुंचूंगा तेरे आसमानी मकाम
तब देखूंगा कामिल प्यार का अन्जाम
वहां मौत मौकुफ है न है एक मरीज़
हमेशा तक गाऊंगा ऐ हर दिल अज़ीज़
https://youtu.be/gssmWHUu5hg
प्रभु तेरा हूँ
1. प्रभु तेरा हूँ, तेरे वचन से
तेरा प्रेम पहचानता हूँ।
मेरी कामना है कि विश्वास से मैं
जा के तेरे पास रहूँ
को. :
रख तू मु झ को मुझ को हे मसीह
अपने क्रूस के सोते पास,
रख तू मुझको, मुझको, मुझको हे मसीह
अपने घायल पांजर पास।
2. आत्मा भेज कर शु, सेवा योग्य बना।
मुझ को सेवा में लगा
मेरा मन कर स्थिर मेरी इच्छा को
अपनी इच्छा में मिला।
3. अपनी प्रार्थना में जैसे मित्र से
वैसे तुझ से बात करूँ,
जो एक घड़ी भी तेरे साथ रहूँ
तो महा-आनन्दित हूँ।
4. सबसे गहरा प्रेम मैं न जानूँगा
जब तक सेवा स्वर्ग न पहूँचुंगा,
सबसे श्रेष्ठ आनंद तब मिलेगा जब
साक्षात देखूगा तुझको।