Hindi Hymn

Yeshu Nath Ke Prem Apar Ka


यीशु नाथ के प्रेम अपार है
करूँगा मैं स्तुतिगान
उसने क्रूस पर प्राण देअपना
मुझे मुक्ति की प्रदान


Ref
गाओ गाओ प्रेम मसीह का
जिस के रक्त से हुआ त्राण
मेरा सारा ऋण भर दिया
जिसने क्रूस पर दिया प्राण


उसके इस अनोखे प्रेम का
नित करूँगा मैं बखान
पापियों के तारने निमित्त
प्राण को किया बलिदान


उसकी स्तुति क्यों न गाऊँ
जिसकी सामर्थ है अक्षय
मृत्यु नरक पाप के ऊपर
मुझे देता कैसी जय


प्रेम का प्रेरित हो मैं गाऊँ
यीशु का अनूठा प्यार
उसने मुझे जीवित किया
वह है मेरा प्राणाधार


Yeeshu naath ke prem apaar hai
Karoonga main stutigaan
Usane kroos par praan deapana
Mujhe mukti kee pradaan


Ref
Gao gao prem maseeh ka
Jis ke rakt se hua traan
Mera saara rn bhar diya
Jisane kroos par diya praan


Usake is anokhe prem ka
Nit karoonga main bakhaan
Paapiyon ke taarane nimitt
Praan ko kiya balidaan


Usakee stuti kyon na gaoon
jisakee saamarth hai akshay
Mrtyu narak paap ke oopar
Mujhe deta kaisee jay


Prem ka prerit ho main gaoon
Yeeshu ka anootha pyaar
Usane mujhe jeevit kiya
Vah hai mera praanaadhaar

 



आह वह प्यारी सलीब,
मुझको दिख पढ़ती है,
एक पहाड़ी जो खड़ी थी,
कि मसीह-ए-मसलूब ने नदामत उठा,
गुनाहगारों की ख़ातिर जान दी।।


CHORUS:
पस न छोड़ूँगा प्यारी सलीब,
जब तक दुनिया में होगा क़याम,
लिपटा रहूँगा मैं उसी से,
कि मसलूब में है अब्दी आराम।।


आह वह प्यारी सलीब,
जिसकी होती तहक़ीर,
है मुझको बेहद दिल अज़ीज़,
की खुदा ए महबूब और जलाली मसीह,
ने पहुँचाया उसे कैलवरी।।


मुझे प्यारी सलीब में जो लहू लुहान,
नज़र आती है ख़ूबसूरती,
की खुदा के यीशु ने कफ़्वारा दिया,
ताकि मिले मुझे ज़िंदगी।।


मैं उस प्यारी सलीब का रहूँ वफ़ादार,
सिपाही हमेशा ज़रूर,
जब तक मेरा मसीह ना करेगा मुझे,
अपने अब्दी जलाल में मंज़ूर।।

 


ईशवर तेरे समीप


1.ईश्वर तेरे समीप , मैं पहुचूं,
और क्रूस के द्वारा ही , सामर्थ पाऊं ,
यह गीत नित मैं गाऊंगा , तेरे समीप सदा ,


Ref
तेरे समीप सदा , और भी समीप


2. यात्री समान हूं डूब जावे दिन ,
अंधेरा छावे भी बिस्तर चट्टान,
नींद में मैं पाऊंगा दर्शन भी ईश्वर का ,


3. उठकर स्तुति तेरी मैं करूंगा ,
पत्थर से दुःखों पर जय पाऊंगा,
मुझे ईश्वर से क्या जो अलग करेगा ,


4. तू मुझे मार्ग दिखा स्वर्ग जाने का,
और लेकर मेरा हाथ मुझे चला,
दूतगण सहायता दे निकट पहुंचा,